Saturday, May 4, 2024

“है गौमाता मताधिकार प्राप्त कर आओ तुम, फिर किसने रोका मोदी जी वाले अच्छे दिन ले जाओ तुम।”

गौमाता और गोपाल का सुंदर संवाद :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपना जन्मदिन अनोखे अंदाज में मनाया। देश भर में उनके समर्थकों ने भी अपने-अपने अंदाज में उनका जन्मदिन मनाकर उनके प्रति अपने भाव व्यक्त किये। बहुत अच्छा लगा कि उनके समर्थकों ने कहीं रक्तदान कर मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त किया तो कहीं वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किये। हर्षोल्लास के साथ उनका जन्मदिन इसलिए भी मनाना चाहिए कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं। हम इसका समर्थन करते हैं।
लेकिन इस शुभअवसर पर मीम्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपनी मनहूस पुकार लेकर रंग में भंग डालने वाली इस गौमाता को भला यह बात कोन समझाए कि महापुरुषों के प्रकटोत्सव पर ऐसी बातें करने से उनके भक्तों की भावनाएं आहत होती हैं । यह सब तब और भी घातक हो जाती है, जब भक्त का चश्मा आंखों पर चढ़ाए श्रद्धालुओं के मानसिक फितूर का समर्थन न किया जाए। अरे भाई सच न बोलिये आप देशद्रोही हो जाएंगे यह बात बार-बार समझाई जा चुकी है। फिर भी गलतियां करते हो ध्यान रहे बर्दास्त नहीं होंगी।
इस तरह शुभचिंतकों द्वारा सच न बोलने की समझाईस के बाद भी एक मीम्स मे प्रकट हुई गौमाता की अभिव्यक्ति ने मोदी जी के जन्मदिन पर भक्तों को गहरा आघात पहुंचाया जो कतई सही नहीं है। क्योंकि खुशियों में मशगूल भक्तों की खुशी को पलीता लगाते हुए अपनी दुर्दशा से व्यथित हो अपने मोहन से व्यथा कहने वाली गोमाता ने अपराध तो किया है। चूंकि उसने सार्वजनिक रूप से कहा “कब से रो रही सड़क पर गोपाल तेरी गैया, मोदी ने खरीदी कोरोड़ों में विदेशी बिलैया” क्या यह मोदी जी का अपमान नहीं है? अब आप ही बताइए तमिलनाडु में 750 किलोग्राम मछली भाजपा के मुख्यमंत्री द्वारा बांटी गई। वहीं स्वयं मोदी जी ने नेक काम करते हुए विदेशी बिलईयों की दावत में 180 चीतल और हिरण उनके बाड़े में छोड़कर मानों एक बड़ा हिंसक और अधार्मिक अनुष्ठान कर दिया हो। सोचिए ऐसे में मीम्स में मौजूद गौमाता को ऐसा कहना चाहिए था क्या? और तो और गौमाता की पुकार सुन मोहन ही चुप रह जाते तो भी बात बन जाती उन्होंने भी तनिक धैर्य नहीं रखा और हृदय विदारक पुकार पर गौमाता से बोले “है, मैया तुम्हे भी होता मताधिकार तो, तुम भी न मरती सड़कों पर, न तोड़ती तुम दम लंपि से इस भारत मे गोमैया, वोट तुम्हारा होता तो वैक्सीन भी लगती, भोजन पानी सब कुछ तुम्हे मिल ही जाता। बूचड़खाने भी बंद हो जाते यह नेता स्वयं तुम्हे बचाने पागल हो जाते मैया। अब भक्तों के चश्मे से तुम भी देखो सब सही नजर आ जायेगा यह तुमसे कहे कन्हैया” यह बात सुन बताइये भला भक्तों की भावनाएं आहत नहीं होंगी।
आखिर हमारे देश के प्रधानमंत्री का जन्मदिन था और फिजूल की धर्म,नीति और अहिंसा का ज्ञान मीम्स की गोमाता द्वारा दिया जाना अनुचित है, या नहीं, क्या हुआ 8 चीतों की दावत में 180 पशुओं को वली वेदी पर चढ़ाने का निर्णय जन्मोत्सव पर लिया गया? क्या हुआ की वोटबैंक की मजबूती के लिए 750 किलो मछलियों को मतदाताओं का निवाला बना दिया गया। इस मंगल अवसर पर तो चुप रहती मैया इस धरती पर तेरे बेटे तुझे बचाने जागे हैं, चाहत तो है, कम कर ज्यादा बतला देने की पर चुनाव बीच आ जाते हैं। और यह नेता कुछ नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इन्हें तो बस वोटर ही लुभाते हैं। इसीलिए है, मैया अब तुम भी भक्त का लेलो चश्मा । करुण पुकारों से कुछ भी तुम्हारा अच्छा नहीं होगा। मेरा मत तो यह है, माता मताधिकार प्राप्त कर आओ तुम, फिर किसने रोका मोदी जी वाले अच्छे दिन ले जाओ तुम।


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