@PANKAJJAIN
भोपाल | मध्य प्रदेश की बहुचर्चित और भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली भोजपुर विधानसभा में विधायक पटवा के प्रति जनता में गहरी सहानुभूति देखी जा रही है. भाजपा के पक्ष में महिलाओं द्वारा 85 फीसदी मतदान की खबरें भी इसका एक बड़ा कारण मानी जा रही हैं. क्यूंकि क्षेत्र समेत प्रदेश की महिलाओं को यह डर है, कि यदि कांग्रेस सरकार आई तो करीब 5 माह पहले शुरू की गई लाडली बहना योजना समाप्त कर दी जाएगी. कारण है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का वो बयान जिसमें उन्होंने अपनी सरकार आने पर इस योजना को बंद करने की बात कही थी.
राजनीतिक विश्लेषकों कि मानें तो मध्य प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान खासकर शिवराज सिंह चौहान के सीएम बनने से लेकर अब तक महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तिकरण से जुड़ी व अन्य प्रभावी योजनाओं ने प्रदेश की तस्वीर संवारी है।
यही तमाम कारण हैं कि महिला सशक्तिकरण एवं लाभार्थी योजनाओं के कारण महिलाओं समेत प्रदेश के अन्य मतदाताओं का लगातार झुकाव भाजपा के पक्ष में है. यहाँ कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं समेत प्रदेश के अन्य को मतदाताओं को कांग्रेस अपने पक्ष में लाने मैं असफल साबित हुई है.
लिहाजा प्रदेश सरकार कि लाडली बहना योजना से लाभान्वित हो रहीं न सिर्फ एक करोड़ 32 लाख महिलाएं बल्कि अन्य योजनाओं में लाभान्वित मतदाताओं को भी कांग्रेस के आने पर उनके बंद होने का डर है जिसका लाभ भोजपुर विधान सभा में पटवा समेत प्रदेश के अन्य हिस्सों में अपनी किस्मत आजमा रहे भाजपा के प्रत्याशियों को मिल सकता है.
कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी था चिंतित :
इस बात से कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी चिंतित था इसलिए आचार संहिता लागू होने के 1 सप्ताह पूर्व यानी 4 अक्टूबर को योजनांतर्गत जैसे ही राशि का आवंटन हुआ वैसे ही कांग्रेस के द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. जिस पर पालटवार करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मैं प्रदेश की बहनों को सावधान करना चाहता हूं उनके इरादे देख लीजिए। ये कांग्रेस और कमलनाथ तो बहन विरोधी भी हैं, गरीब विरोधी भी हैं और आदिवासी विरोधी भी हैं। यहीं हैं जिन्होंने स्वर्गीय शिवभानु सिंह सोलंकी और जमुना देवी को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया । सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जनता को कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत है।